।। नई PACS मंजूरी 2025।।किसानों के लिए नई उम्मीद ।।

हाल ही में मोदी सरकार ने M-PACS मंजूरी (Multipurpose Primary Agricultural Credit Societies) को नई मंजूरी दी है, जिससे की कृषि क्षेत्र मे विकास और आत्मनिर्भरता के अवसर उत्पन्न हो सके। नए M-PACS के गठन से ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

PACS की भूमिका

PACS को प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी कहा जाता है,जो भारत में सबसे छोटी सहकारी ऋण संस्था में से एक है। यह किसानों को अल्पकालिक और मध्यम अवधि के लिए कृषि ऋण और अन्य इनपुट सेवाये जैसे उर्वरक,कीटनासक,बीज प्रदान करती है।किसान साहूकारों के चंगुल में न फंसे, इसी को लेकर पैक्स का गठन हुआ है। PACS ज़मीनी स्तर पर ग्राम पंचायत और ग्राम स्तर पर काम करती हैं। देश मे पहली PACS वर्ष 1904 मे बनाई गई थी ।

PACS का नया नियम

हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र में खाद-बीज, दवा और वित्तीय सेवाओं समेत सरकारी योजनाओं को तेजी से लोगों तक पहुंचाने के लिए 10 हजार मल्टीपरपज पैक्स (PACS) का गठन किया गया है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह जी ने 25 दिसंबर को ICAR कन्वेंशन सेंटर,पूसा मे इन 10 हजार बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के साथ डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों का उद्घाटन किया। और कहा कि इन मल्टीपर्पस पैक्स के जरिए किसानों और ग्रामीणों को लाभ और अधिक तेजी के साथ मिलेगा । इसप्रकार की समितियां किसानों और ग्रामीणों को सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएंगी. वर्तमान ने पैक्स के जरिए 24 तरह की सुविधाएं लोगों को दी जा रही हैं. गृह मंत्री ने किसानों को RuPay किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और माइक्रो ATM भी सौंपे। यह पैक्स ग्रामीण भारत के विकास को रफ्तार देने में बड़ी भूमिका निभाने वाली हैं।

गृह मंत्री ने राष्ट्रीय सम्मेलन में 10,000 से अधिक नवनिर्मित मल्टीपरपज प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (M-PACS) के साथ ही डेयरी और मत्स्य पालन समितियां राष्ट्र को समर्पित कर दीं। सहकारिता मंत्रालय हर पंचायत में सहकारी समितियों को स्थापित कर रहा है. इससे स्थानीय स्तर पर विकास और आत्मनिर्भरता के अवसर उपलब्ध हो सकें। नए M-PACS के गठन से ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं के विकास को बढ़ावा मिलेगा. नवनिर्मित बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी सहकारी और मत्स्य सहकारी समितियों में ऋण वितरक संस्था, डेयरी समितियां और मत्स्य पालन समितियां भी शामिल की गई हैं।

महिलाओ के नेतृत्व वाली पंचायतों को मजबूत करने पर जोर


भारत सरकार के सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी समितियों को स्थानीय लोगों खासकर महिला-नेतृत्व वाली पंचायतों को मजबूत बनाने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के वित्तीय समावेशन, ग्रामीण कृषि और कुटीर उद्योग के विकास, रोजगार सृजन और नारी एवं सामाजिक मजबूती का मुख्य जरिया है।

नई PACS मंजूरी के लाभ

ये PACS पंचायतों को क्रेडिट सेवाओं तक आसान पहुंच उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किए गए हैं। जिससे ग्रामीण आबादी योजनाओं का लाभ उठा सके और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में भाग ले सके।

  • फसल ऋण पर ब्याज दरों में कमी
  • त्वरित और सरल ऋण प्रक्रिया
  • कृषि उपकरणों के लिए विशेष वित्तीय योजनाएं
  • नए M-PACS के गठन से ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

चुनौतियां

हालांकि भारत सरकार का यह कदम सकारात्मक है, लेकिन इसे लागू करने में कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। विशेष रूप से तकनीकी जानकारी और नए सिस्टम को समझने में किसानों को कठिनाई हो सकती है।

सरकार की भूमिका

सरकार की भूमिका इस मंजूरी के कार्यान्वयन में अहम होगी। सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि PACS को पर्याप्त प्रशिक्षण और संसाधन मिलें, ताकि वे अपने कार्य को सही तरीके से अंजाम दे सकें।

आगामी 5 वर्षों में देश की हर पंचायत में एक सहकारी संस्था की स्थापना करने का टारगेट है.। इसको पूरा करने के लिए सितंबर 2024 में मल्टीपरपज पैक्स का गठन किया जा रहा है. अब तक नए 10,496 बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य पालन सहकारी समितियों में से 3523 M-PACS और 6288 डेयरी सहकारी समितियां रजिस्टर हो चुकी हैं। इसके अलावा मत्स्य पालन की 685 नई सहकारी समितियों का भी पंजीकरण हुआ है।

निष्कर्ष

नई PACS मंजूरी किसानों के लिए एक उम्मीद का नया द्वार खोल सकती है, अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया तो इससे कृषि क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत हो सकती है।

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