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गोबर से क्रांति:अब 2026 में UP में बनेगा इको-फ्रेंडली कपड़ा और प्लास्टिक

गोबर से क्रांति

आमतौर पर जब हम लोग ‘गोबर‘ शब्द सुनते हैं, तो सबसे पहले हमारे मन में यही ख्याल आता है कि हम गोबर से खाद, उपले या ईंधन ही बना सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब यही गोबर फैशन इंडस्ट्री और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में उभर रहा है? जी हां, वैज्ञानिक अब गाय के गोबर से कपड़ा और बायोप्लास्टिक बना रहे हैं। गोबर से क्रांति यह न सिर्फ एक अभिनव खोज है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहद लाभकारी है। आइए जानें कैसे…

लखनऊ: उत्तरप्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से अब प्रदेश में गोबर से क्रांति के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा मे एक बहुत ही क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। जिससे अब प्रदेश में अब गोबर से क्रांति के जरिए निराश्रित गऊ माताओं के गोबर से जैव-पॉलिमर, बायोटेक्सटाइल, बायोप्लास्टिक, वस्त्र, इको-पेपर, बोर्ड, बायोगैस, कम्पोस्ट और नैनोसेल्यूलोज जैसे उत्पाद तैयार किए जाएंगे। गोबर से क्रांति के जरिए प्रदेश के अंदर निराश्रित गोवंश से प्रतिदिन लगभग 54 लाख किलोग्राम गोबर उत्पन्न होता है,अब जिसका उपयोग इन प्रोडक्ट को बनाने में किया जाएगा। गोबर से वैज्ञानिक पद्धति के जरिए न केवल प्लास्टिक के विकल्प तैयार किए जाएंगे, बल्कि जैव प्रदूषण को भी रोका जाएगा। इससे पर्यावरण संरक्षण को भी नया बल मिलेगा। सीएम योगी के नेतृत्व में 8 साल में प्रदेश ने विकास के क्षेत्र में नई लकीर खींच दी है।

गो सेवा आयोग की दूरदर्शी योजना
गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने बताया कि यह योजना मुख्यमंत्री के “हर गांव ऊर्जा केंद्र” मॉडल के अनुरूप है। इसमें गोबर आधारित बायोगैस से ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ जैविक/प्राकृतिक खेती, ग्रामीण रोजगार और गोशालाओं की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाएगा यूपी का गोसेवा मॉडल
गो-सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना की तकनीकी सलाहकार डॉ. शुचि वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर (बायोटेक्नोलॉजी), रामजस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय हैं। इन्होंने गोबर से बायोप्लास्टिक निर्माण की प्रभावी तकनीक विकसित की है। आयोग में उन्होंने अपने किए गए शोधों पर व्याख्यान भी प्रस्तुत किया।

गोबर से क्रांति के अवसर

गोबर से क्रांति द्वारा प्रदेश मे लाखों ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं ग्रामीण महिलाओं को लघु उद्यम के अवसर भी मिलेंगे। इस गोबर क्रांति के जरिए प्रदेश सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा और गांवों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में यह कदम बेहद अहम साबित होगा।

गाय के गोबर में क्या है खास?

कैसे बनता है गोबर से कपड़ा?

कैसे बनती है बायोप्लास्टिक?

गोबर में मौजूद ऑर्गेनिक कंपाउंड्स से बायोपॉलिमर बनाए जाते हैं जोकि प्लास्टिक की तरह मजबूत होते हैं, लेकिन जैविक तरीके से नष्ट हो सकते हैं।परंतु यह हमारे पर्यावरण के लिए सुरक्षित विकल्प है।

इस तकनीक के लाभ

इस तकनीक का प्रयोग करके अपशिष्ट पदार्थों को कम किया जाता है और प्लास्टिक प्रदूषण मे भी कमी आती है। इसके साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलता है और हमारा पर्यावरण भी संरक्षित राहत है ।

कौन-कौन कर रहा है ये काम?

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